September 21, 2013

जीवन एक कुटिया...


    जीवन कुटिया की भांति एक छोटा सा स्थान है.इसमें किसे आमंत्रित करना है, किसे नहीं,यह आपके ऊपर निर्भर है! निर्णय समय पर लेना है, वर्ना, फिर केवल छोभ शेष रह जायेगा.


     "छोटी  सी सूनी 
     कुटिया के बाहर,   
     आह्ट हुई, 
     तन्हाई अनुभव की 
     खिडकियां खोल दी.
     गलती की शायद 
     भीगी हवा आई,साथ में,  
     फूलो की सुगंध भी.
     धुप छाँव की आड़ में
     कुछ इशारे भी हुए.

 

     परन्तु तन्हाई 
     और भी बढ़ गयी. 
     काश!
     कुटिया के दरवाजे ही
     क्यों न खोल दिए!
     अन्दर 
     अँधेरी सी छाँव पर 
     थोड़ी धूप आ जाती,
     और,शायद 
     आ जाते तुम."

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