So here is another naughty kid....
नन्ही मुन्नी
रखे चंचंलता से दांत काटी रोटी;
बड़े बूढों की डांट फटकार
चोटि मैं
रीबन की तरह बांध
सर झटक कर
पीछे फेक देती है,और,
आँखों मैं रंग बिरंगे गुलाल लिए
ओंठो पर
हास्य के ढेर से सुर,
फिर उन्ही की गोद भर देती है,
ऐसी चंचल है मुन्नी ,
मेरी नन्ही मुन्नी
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ReplyDeleteIt si so touching Dad to read through this poem...I could almost picture myself from your eyes...and this childhood picture makes it come alive!
ReplyDeleteIt was an amazingly pleasant surprise!
Thank you!! :)