So i am back,can not resist to stay here,a miraculous world of blogging netizens!! Looking forward to meet dear fellows:
" तर्क वितर्क
थक कर हो गए मौन.
हे मन अब तू ही बता
क्या हुआ जाता है मुझे,
क्यों खुशियों से विमुख?
भ्रमित सी इच्छायें
कहाँ भटकती हैं ?
एक दीर्घ नि:श्वास
"सी ब्रीज़" सा
उमसता हुआ,मुझे
सांत्वना दे पाने में असमर्थ
मेरे आस पास के वातावरण से
जूझने लगता है;
प्रश्नों का ड्रैगन
आग उगलता हुआ
मुझे झुलसाने को तत्पर,और,
मेरी सीली हुई आँखों में
धुंधलाती जा रहीदुनिया,
ऐसे में ऐ मेरे मन
अब
तू भी क्यों मौन? "
" तर्क वितर्क
थक कर हो गए मौन.
हे मन अब तू ही बता
क्या हुआ जाता है मुझे,
क्यों खुशियों से विमुख?
भ्रमित सी इच्छायें
कहाँ भटकती हैं ?
क्या रंग है उस
नदी के जल का
मेरे अंतर में जो निरंतर
नाद करती हुई बह रही है,
और,हर पल
मेरे अस्तित्व को निरंतर
घिस घस कर
रेत में परिवर्तित करती जाती है !
उफ़ !एक दीर्घ नि:श्वास
"सी ब्रीज़" सा
उमसता हुआ,मुझे
सांत्वना दे पाने में असमर्थ
मेरे आस पास के वातावरण से
जूझने लगता है;
प्रश्नों का ड्रैगन
आग उगलता हुआ
मुझे झुलसाने को तत्पर,और,
मेरी सीली हुई आँखों में
धुंधलाती जा रहीदुनिया,
ऐसे में ऐ मेरे मन
अब
तू भी क्यों मौन? "