What a life is it?You meet someone,love n like each other...and then this is changing time which brings life upside down!
"स्मृति के पट
खोले
बाहर देख रहा हूँ.
इतने में
सब दृश्य अपने में
समेट कर
एक पर्दा
मेरे आगे तान देती है-
एक धुंधला जोड़ा
दूर कहीं दूर
दृष्टिगोचर होता है,और
कुछ पीछे
माध्यम गति में जाता
एक झुके कंधो वाला वाला व्यक्ति;
दृश्य स्पष्ट होता है-
जोड़े मैं स्त्री
'तुम' हो,
तुम मुस्कराती हो.
तुम्हारा साथी हँस रहा है,
वो 'समय' है.
झुके कंधो वाला 'मैं' हूँ.
अपितु कहो-
मैं झुक कर देखता हुआ
अपने पद
मिला रहा हूँ,
जिनसे,कभी अपने पद मिला कर
न चल सका था!"
Wow...nice one...reflections of past and repentance beautifully worded out!
ReplyDeleteSo thanks.Mine is a humble post on past!
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