It has never been easy for me to express before my wife my love and emotions. However i have dared to dedicate a few lines to my love-my dear wife...
प्रिय ,
यह कुछ पंक्तिया तुमे समर्पित कर रहा हूँ,स्वीकार करना.शब्द कम है,भाव अधिक !----
हम अन्जान थे,
लेकिन तुमने सात फेरो में मेरा साथ दिया.
तुमने दिशा दी,माफ़ किया,
मेरे लड़खड़ाते कदमो को
सहारा दिया
निराशा को आशा दी.
जब रही मेरी जेब ख़ाली
अपनी जरुरतो को काट कर
जमा तुम्हारे पैसे
मेरा सहारा बने!
हो जब तुम्हारी नाराजगी,तब
शाम का कोई मतलब नहीं,
रात दिन
जैसे गर्मी में खाली घड़ा !
लेकिन मैं तुम्हे मना नहीं पाता.
मैं हूँ नाराज जब,
कहा से अनमोल सुगंध
तुम ले आती हो
मेरी मुस्कान को जिन्दा कर देती हो !!
तुम्हारा व्यक्तितव्य-
शब्द जाल में नहीं बांध सकता
शब्दों से नहीं बुन सकता.
तुम केवल मेरी पत्नी नहीं हो सकती
जरूर मेरे पिछले जन्मो की पुण्य हो!
तुम धन्य हो!!
विज्ज़ी
my dear,i love your so dedicated feelings...and thanks!!!!!!!!
ReplyDeleteyour dear wife
Very nice..surprised though that u accept what a woman does for her man..lovely lines..lucky wife she is!!
ReplyDeleteRanita,i am rather blessed by God with such a capable and caring wife.The lines of the poem are true.
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