An escape to a place with nature, far
away from the hustle and bustle of daily life,concrete jungles of cities !! Deodar trees,God made water falls,fog covered hills & trees,serpentine lanes lost somewhere within forest.Oh God,the deep routed memories of those dream lands still breeze my heart in even hot days!
"मैं हो रहा हूँ विदा
तुम सबसे.
याद आयेंगे मुझे
ये पर्वत ये झरने.
ख्यालों में आया करेंगे
तुम्हारे चेहरे,
घटती जायेगी नींद
पूर्णिमा के बाद के चाँद सी.
मन को सालेंगे
वो अभिसार -
बेचैन करेंगे मुझे
रहस्यमय से, ऊंचे वृक्षों से घिरी
पगडंडियों के आमंत्रण,और
उनको सवांरते
धुप छाँव के चुम्बन.
तुम सबसे
मैं हो रहा हूँ विदा,
शुभ विदा."
.प्रकृति की सुंदरता एवं लगाव का सुन्दर चित्रण किया गया है.सत्य है कि शहरों से प्रकृति का क्षेत्र कम होता जा रहा है।
ReplyDelete.
Pictures in words. Very well said.
ReplyDeletehindi wale portion jyada impressive lage aur aap bahut badiya likhti hain ..
ReplyDeleteHi Bhavna,thanks for your observation.I am basically Hindi writer,sometime attempting in English language.
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