October 1, 2011
August 29, 2011
Oh thou...
We all are prone to happiness and sorrows.We feel pain when disserted by someone close,even a pleasant season is ineffective.Then we look backward and search consolation in nostalgia!!!
"कभी कभी जब धुप सुनहरी
गिरी अंचल से आती है
अंतर्मन तब लगे पिघलने
पलके नीर बहाती है
धुप-छाव, सुख-दुःख के
कुछ इन्ही क्षणों में
तब याद तुम्हारी आती है"
August 22, 2011
August 7, 2011
life when you left..
Life has always been tough to live,but when my friend left ,feelings and memories trailed behind....
" पल पल पिघलते
जीवन के सफ़र में ,
वक्त गुजरता रहा.
दिन ढलने के बाद
रातो की स्याही के सिवा
कुछ भी न रहा .
उन खामोश लम्हों के बीच
न तुम, तुम रहे
न हम ,हम रहे
सिर्फ अहसासों के बोझ
के सिवा और क्या रहा?
बोलो,
तुम ही कुछ बोलो !!"
July 28, 2011
NOSTALGIA......
Memories chase ...expectations revive, and,life goes on
''जब कभी भी
तुम्हारे सानिध्य की
स्मृति अंगड़ाई लेती है,
रात्रि के सन्नाटे पर
कोहरा
गहराने लगता ,है
तब अनायास ही
मै कह उठता हूँ:
'ऐ वक्त
मंथर गति से चल
.शायद
वो लोट ही आये"
July 23, 2011
how i feel now...
Now that i have returned to this spot,i am experiencing a new pleasure.Again i am face to face to my blog posts and fellow bloggers.So.........
"lights flicker
at the sight of you.
Swimming in the
great light
the birds,the hearts.
Vacuum of silence bursts,
and,'sweet-whispers'
crawl in.
We two sitting
at the shore of a lovely evening,
far,evaporating distance
bringing us closure
moment by moment.
I have told you,
you have told me,
now,the world knows
WE TWO
love each other
and,are no more distinct TWO..."
"lights flicker
at the sight of you.
Swimming in the
great light
the birds,the hearts.
Vacuum of silence bursts,
and,'sweet-whispers'
crawl in.
We two sitting
at the shore of a lovely evening,
far,evaporating distance
bringing us closure
moment by moment.
I have told you,
you have told me,
now,the world knows
WE TWO
love each other
and,are no more distinct TWO..."
July 18, 2011
My Love My Wife....
It has never been easy for me to express before my wife my love and emotions. However i have dared to dedicate a few lines to my love-my dear wife...
प्रिय ,
यह कुछ पंक्तिया तुमे समर्पित कर रहा हूँ,स्वीकार करना.शब्द कम है,भाव अधिक !----
हम अन्जान थे,
लेकिन तुमने सात फेरो में मेरा साथ दिया.
तुमने दिशा दी,माफ़ किया,
मेरे लड़खड़ाते कदमो को
सहारा दिया
निराशा को आशा दी.
जब रही मेरी जेब ख़ाली
अपनी जरुरतो को काट कर
जमा तुम्हारे पैसे
मेरा सहारा बने!
हो जब तुम्हारी नाराजगी,तब
शाम का कोई मतलब नहीं,
रात दिन
जैसे गर्मी में खाली घड़ा !
लेकिन मैं तुम्हे मना नहीं पाता.
मैं हूँ नाराज जब,
कहा से अनमोल सुगंध
तुम ले आती हो
मेरी मुस्कान को जिन्दा कर देती हो !!
तुम्हारा व्यक्तितव्य-
शब्द जाल में नहीं बांध सकता
शब्दों से नहीं बुन सकता.
तुम केवल मेरी पत्नी नहीं हो सकती
जरूर मेरे पिछले जन्मो की पुण्य हो!
तुम धन्य हो!!
विज्ज़ी
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